LIGHT PART-05, दर्पण सूत्र ,आवर्धन

 दर्पण सूत्र क्या  क्या हैं?

    1/f=1/v+1/u

    जहां f= दर्पण की फोकस दूरी,

             u= वस्तु दूरी,

            v= प्रतिबिंब दूरी हैं।

दर्पण सूत्र वह व्यंजक है जिसकी सहायता से हम किसी गोलीय दर्पण से बने किसी वस्तु के प्रतिबिंब दूरी वस्तु दूरी एवं फोकस दूरी के बीच संबंध स्थापित करते हैं।


गोलीय दर्पणों द्वारा परावर्तन के लिए चिह्न परिपाटी (Sign Convention):  

  • गोलीय दर्पण के ध्रुव (P) को मूल बिंदु मानते है और दर्पण की सभी दूरियां ध्रुव (P) से मापी जाती हैं
  • बिंब को सदैव दर्पण के बाईं ओर रखा जाता है।
  • मूल बिंदु के दाईं ओर की दूरियाँ + x-अक्ष के अनुदिश धनात्मक  मापी जाती है या आपतित किरण के दिशा में मापी गयी दुरी धनात्मक होती है। 
  • मूल बिंदु के बाईं ओर दूरियाँ – x-अक्ष के अनुदिश ऋणात्मक मापी जाती है।आपतित किरण के  विपरीत  दिशा में मापी गयी दुरी ऋणात्मक होती है। 
  • दर्पण के मुख्य अक्ष के ऊपर के ओर की सभी दूरियाँ धनात्मक (+) ली जाती है।
  • दर्पण के मुख्य अक्ष के नीचे की ओर की सभी दूरियाँ ऋणात्मक (-) ली जाती है।
    दर्पण सूत्र (Mirror Formulas ):

बिंब दुरी / वस्तु दुरी :

 गोलीय दर्पण के सामने रखी वस्तु तथा इसके ध्रुव (P) के बीच की दूरी को बिंब दूरी वस्तु दुरी कहते है। इसे u से दर्शाते हैं

प्रतिबिंब दुरी:

गोलीय दर्पण के ध्रुव (P) और प्रतिबिंब के बीच की दूरी को प्रतिबिंब दूरी (v) कहते हैं इसे v से दर्शाते हैं
आवर्धन या आवर्धन (Magnification):

आवर्धन वह संख्यात्मक मान है, जिससे यह पता चलता है कि कोई प्रतिबिम्ब कहाँ एवं वास्तु से  कितना गुना बड़ा बना हैं। 

प्रतिबिंब की ऊँचाई तथा बिंब की ऊँचाई  का अनुपात है। आवर्धन कहलाता है। इसे m से दर्शाते हैं।

           m=h'/h

प्रतिबिंब दूरी तथा वस्तु दूरी के अनुपात के ऋणात्मक मान को आवर्धन कहते हैं।

                    m= -v/u

                    h'/h=-v/u

1. प्रतिबिंब के लिए प्रतिबिंब ऊँचाई (h’) धनात्मक (+) होती है। और उल्टे प्रतिबिंब के लिए प्रतिबिंब कि ऊँचाई (h’) ऋणात्मक (-) होती है।

2. आवर्धन का मान धनात्मक मान होता है। तो प्रतिबिंब आभासी (Virtual) और सीधा होता है। और यदि  आवर्धन का मान ऋणात्मक मान  होता है। तो प्रतिबिंब वास्तविक (Real) और उल्टा  होता है।

3. बिंब दूरी (u) ऋणात्मक (-) होती है।

4.अवतल दर्पण की फोकस दुरी (f) का मान ऋणात्मक (-) होता है। जबकि उत्तल दर्पण की फोकस दूरी का मान धनात्मक (+) होता है।

प्रतिबिंब  दूरी (v) ऋणात्मक (-) होती  हैं यदि प्रतिबिंब वास्तविक (Real) तथा उल्टा बनता है। जबकि आभासी (Virtual) और सीधा प्रतिबिंब  के लिए प्रतिबिंब  दूरी  धनात्मक (+) होती है।

Note:-1. यदि आवर्धन का मान धनात्मक हो तो वस्तु का प्रतिबिंब सीधा काल्पनिक ( आभासी) बनता है।

2. यदि आवर्धन का मान ऋणात्मक हो, तो प्रतिबिंब वास्तविक एवं पुल्टा बनता है।

3.यदि m<1, यानि आवर्धन का मान 1 से कम हो तो प्रतिबिंब की ऊंचाई वस्तु के ऊंचाई से छोटा होता है।

4 . यदि m=1, यानि आवर्धन का मान 1 हो तो प्रतिबिंब कि ऊंचाई, वस्तु ऊंचाई के बराबर होती है।

5. यदि m>1 यानि आवर्धन का मान 1 से अधिक हो तो प्रतिबिंब कि  ऊंचाई वस्तु के ऊंचाई से बड़ा होता है।

1. समतल दर्पण  द्वारा उत्पन्न आर्वधन +1 हैइसका क्या अर्थ है ?

उत्तर  एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आर्वधन +1 होने का अर्थ है कि समतल दर्पण के द्वारा जिस वस्तु का प्रतिबिम्ब बन रहा हैउस वस्तु का साइज दर्पण (समतलद्वारा बनाए गए प्रतिबिम्ब के साइज के बराबर है। धनात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि प्रतिबिम्ब सीधा तथा आभासी है।

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