कोशिकाओं का समूह जिनकी उत्पत्ति , बनावट एवं कार्य समान होते है , ऊतक कहलाते हैं .
या
समान उत्पत्ति तथा समान कार्यो को सम्पादित करने वाली कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहते हैं .
ऊतक के अध्ययन को Histology (ऊतक विज्ञान ) कहते हैं . ऊतक विज्ञान के जनक M.F. जेवियर बिचैट को कहते है .
पादप ऊतक दो प्रकार के होते हैं
1. विभज्योतकी ऊतक
2. स्थायी ऊतक
1. विभज्योतकी ऊतक:
विभज्योतकी ऊतक की कोशिकाएँ विभाजित होती रहती है
, जो पौधों के वृद्धि जैसें : तने तथा जड़ की लम्बाई, मोटाई आदि में सहायक होती है .
✓ ये ऊतक पौधे के जड़ एवं तना के शीर्ष भाग , तने के पार्श्व और पत्तियों के आधार में या टहनियों के पर्व के दोनों ओर पाए जाते है
✓ ये ऊतक अवयस्क जीवित कोशिकाओं का बना होता हैं जिसमे विभाजन की क्षमता होती है इनमें अंतरकोशिकीय अवकाश नहीं होते।
✓ कोशिकाएँ गोलाकार, अंडाकार अथवा बहुभुजी होती है ये कोशिकाएँ हमेशा ही जीवित और पतली भित्ति वाली होती हैं।
✓ प्रत्येक कोशिका में प्रचुर मात्रा में कोशिकाद्रव्य और सुस्पष्ट केद्रक होता हैं।
✓ रिक्तिकाए छोटे आकार की होती हैं अथवा होती ही नहीं।
पौधें में वृद्धि के स्थान के आधार पर विभज्योतकी ऊतक को तीन भागों में विभाजित किया गया है :-
1. शीर्षस्थ विभज्योतकी ऊतक: -यह पौधों के जड़ों एवं तनों के शीर्ष भाग में उपस्थित रहता है, यह इनकी लम्बाई को बढ़ता हैं .
2. पार्श्वस्थ विभज्योतकी ऊतक: यह पौधों के जड़ों एवं तनों के परिधीय भाग में उपस्थित रहता है, यह इनकी मोटाई को बढ़ता हैं .
3. अंतर्वेशी विभज्योतकी ऊतक : यह पौधों के तनों के दोनों ओर पत्तियों के आधारीय भाग एवं पर्वसंधि में उपस्थित रहता है, यह पौधे के शीर्ष भाग के किसी कारण नष्ट होने पर (जैसे जंतुओं द्वारा चरे जाने की स्थिति में आदि ) ,यह इनकी लम्बाई को बढ़ता हैं .
2.. स्थायी ऊतक -
स्थायी ऊतक वे ऊतक होते हैं, जिनमें विभाजन या तो पूर्णत: अथवा कुछ अवधि के लिए रूक जाती हैं।
√ इन ऊतकों की कोशिकाएँ जीवित हो सकती अथवा फिर मृत और पतली भित्ति वाली अथवा मोटी भित्ति वाली हो सकती हैं।
√ पतली भित्ति वाले स्थायी ऊतक आमतौर से जीवित होते हैं, जबकि मोटी भित्ति वाले ऊतक जीवित भी हो सकते हैं अथवा मृत भी।
स्थायी ऊतक के प्रकार:जेड
1.सरल स्थायी ऊतक
सरल स्थायी ऊतक केवल एक ही प्रकार की कोशिकाओं से बने होते है। इसका मुख्य कार्य भोजन का निर्माण करना तथा यांत्रिक सहायता प्रदान करना ,
Ø मृदूतक (पैरेन्काइमा) (क्लोरेनकाइमा और ऐरेन्काइमा) : कोशिकाओं की कुछ परतें ऊतक आधारीय पैकिंग कार्य करती है ,इसके पास oval cells होते है ये loosely पैक हो सकते है नही भी , यह पतली कोशिकभित्ति वाली सरल कोशिकाओं का बना होता है . ये कोशिकाएँ जीवित तथा प्रायः बंधन मुक्त होती है इनके मध्य काफी रिक्त स्थान होता है
मृदुतक ऊतक पौधे को यांत्रिक सहायता प्रदान करता है तथा भोजन तथा जल का भण्डारण करता है .
कुछ मृदुतकों में क्लोरोफिल पाया जाता है जिसके कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया संपन्न होती है इन्हें हरित ऊतक (cholorenchyma )कहा जाता है .
जलीय पौधो में parenchyma की कोशिकाओं में हवा की बड़ी बड़ी गुहिकाएं होती है जो जो पौधो को तैरने के लिए उत्प्लावन बल प्रदान करती है इन्हें Aerenchyma एरेंकायिमा कहते है
Ø स्थूलकोण ऊतक (कोलेन्काइमा) :
यह ऐसे polygon cells का बना होता है जिसके कारण पौधे के बिभिन्न भागो में जैसे पत्ते एवं तनो में लचीलापन आता है जिसके कारण बिना टूटे आसानी से मुड जाते है ,यह पौधे को यांत्रिक सहायता भी प्रदान करता है , इस ऊतक की कोशिकाएँ जीवित , लम्बी और अनियमित ढंग से कोने पर मोती होती है .
Ø दृढ़ ऊतक (स्केलेरेनकाइमा : यह ऊतक पौधे को कठोर एवं मजबूत बनाता है , इस ऊतक की कोशिकाएँ मृत होती है इस ऊतक की भित्ति लिग्निन के कारण मोटी होती है जिसके कारण कोशिकाओं के भीतर आतंरिक स्थान नहीं होता है . यह ऊतक तने में , संवहन बण्डल के समीप, पत्तों के शिराओं में, बीजों तथा फलों के कठोर छिलकों में पाया जाता है जैसे जूट , नारियल का छिलका इत्यादि यह पौधों के भागो को मजबूती प्रदान करता है .
2. जटिल ऊतक Complex tissues:
जटिल उतक एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं उन्हें जटिल स्थायी ऊतक कहते हैं . इसका मुख्य कार्य जल तथा खाद्य पदार्थों का पौधों के सभी अंगों तक पहुँचाना है ये पौधे के विभिन्न अंगों तक पहुंचकर उसके वृद्धि को नियंतित करने का भी काम भी करते हैं .
जो एक इकाई के रूप में कार्य करते हैं।इसके सामान्य उदाहरण जाइलम और फ्लोएम है।
जटिल ऊतक मुख्यतः दो प्रकार के होते है।
1. जाइलम ऊतक -
I. जाइलम एक संवाहक ऊतक हैं जो जड़ो से लेकर शाखाओं और पत्तियों तक एक अविच्छिन्न तंत्र बनाते है।
II. इन्हें सवंहन ऊतक भी कहते हैं और ये जड़ो एवं शाखाओं भीतर सवंहन बंडलों के रूप में विद्यमान होते हैं।
III. जाइलम (क) टै्रकीडो, (ख) वाहिकाओं (ग), रेशों, (घ) जाइलम पैरेन्काइमा का बना होता हैं।
2. फ्लोएम ऊतक -
I. फ्लोएम भी एक संवहन ऊतक हैं जों पत्तियों में संश्लेषित भोजन को पौधे के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है।
II. फ्लोएम (क) चालनी नलिकाओं, (ख) सहचर (साखी) कोशिकाओं (ग) फलोएम रेशों, (घ) फ्लोएम पैरेन्काइमा का बना होता हैं।
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