1.प्रकाश (Light) : PART-1 INTRODUCTION

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प्रकाश (Light) : प्रकाश वह कारक है जिसकी सहायता से हम किसी वस्तु को देख पाते हैं। प्रकाश एक प्रकार का ऊर्जा का स्रोत है।

प्रकाश  का वेग

निर्वात में 300000 Km/s

पानी में   225000Km/s

कांच में 200000 Km/s हैं।


प्रकाश की किरण (Ray of light)

प्रकाश एक सीधी रेखा में चलता है। प्रकाश के इस पथ कोप्रकाश की किरणकहा जाता  हैं।

विभिन्न प्रकार की छाया का बनना, सूर्य-ग्रहण, चन्द्र-ग्रहण, परावर्तन, अपवर्तन, सूची-छिद्र कैमरा (Pin hole camera) से उलटे प्रतिबिंब का बनना आदि प्रकाश के सीधी रेखा में चलने के कारण होता है।

प्रकाश की किरणें सीधी रेखा में चलती हैं। जब एक अपारदर्शी वस्तु प्रकाश की किरणों के रास्ते में जाती है तो यह छाया बनाती है। प्रकाश की किरणों के द्वारा छाया बनाने की प्रक्रिया हमें यह बतलाता है कि प्रकाश सीधी रेखा में गमन करती है अर्थात चलती है।

किरण आरेख: किरणों के  पथ को दर्शाने वाले चित्र को किरण आरेख कहते हैं।

किरण पुंज: किरणों के  समूह को किरण पुंज कहते हैं।

प्रकाश के  किरण पुंजों के तीन प्रकार हैं।

(a)अपसारी किरण पुंज : जब  प्रकाश की किरणें एक बिंदु स्रोत से निकलकर , आगे कि ओर फैलती जाती हैं तो इस प्रकार के किरण पुंज को अपसारी किरण पुंज कहते हैं।

(b)समांतर किरण पुंज : जब प्रकाश कि किरणें एक दूसरे के समांतर चलती हैं तो इस प्रकार के किरण पुंज को समांतर किरण पुंज कहते हैं।

(C)अभिसारी किरण पुंज : जब प्रकाश कि किरणें  विभिन्न दिशाओं से आकर एक बिन्दु पर एकत्रित होती हैं तो इस प्रकार के किरण पुंज को अभिसारी किरण पुंज कहते हैं।



 

 


प्रकाश का परावर्तन (Reflection of light)

जब प्रकाश किरण किसी चिकने पृष्ठ से टकराकर वापस लौट आती है, तो इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

एक उच्च कोटि का पॉलिश किया हुआ चमकीला वस्तु , उस पर पड़ने वाली प्रकाश की अधिकांश किरणों को परावर्तित कर देता है।

जैसे : दर्पण या आईना (Mirror), जिसकी सतह एक चमकीले पदार्थ से पॉलिश की रहती है जो उसपर पड़ने वाली प्रकाश की अधिकांश किरणों को परावर्तित कर देती है।

चाँदी प्रकाश का सबसे अच्छा परावर्तक है।

प्रकाश का प्रवर्तन दो  प्रकार का होता  है।

(1) नियमित प्रकाश का परावर्तन 

(2) विसरित प्रकाश का परावर्तन 





Regular reflection occurs at the surface of a plane surface like a plane mirror. Reflected rays after regular reflection are parallel.

Diffused reflection occurs at the surface of a rough surface like cardboard. Reflected rays after regular reflection are not parallel.

Note: Laws of reflection are valid in both the cases.

DEFINITION

Regular and Irregular Reflection

image

Regular Reflection: 

1. Reflection from a polished and plane  surface is called regular reflection.

2.  In regular reflection parallel rays remain parallel after reflection.

Irregular Reflection:

1. Reflection from a rough surface is called diffuse reflection.

2. Parallel rays do not remain parallel after reflection


प्रकाश के स्रोत:-

1. निर्माण के आधार पर प्रकाश स्रोत दो प्रकार के होते हैं:-

 (a) प्राकृतिक प्रकाश के स्रोत: 

(b) मानव निर्मित प्रकाश के स्रोत

2. प्रकाश उत्सर्जन करने के आधार पर  पदार्थों ( पिंडो) को दो भागों में बांट दिया गया है।

 (a) प्रदिप्त पिंड : वैसे पिंड जो प्रकाश का स्वयं उत्सर्जन करते हैं प्रदीप्त पिंड कहलाते हैं। 

जैसे: सूर्य, जुगनू, तारे, जलता हुआ बल्ब, मोमबत्ती आदि।

(b) अदीप्त पिण्ड: वैसे पिंड जो प्रकाश का स्वयं उत्सर्जन नहीं करते हैं अदिप्त पिंड कहलाते हैं।

जैसे: पुस्तक, कलम, ईट, पत्थर आदि।

3.प्रकाश के गमन करने के आधार पर

 पारदर्शी, अपारदर्शी और पारभासी पदार्थ

(A) पारदर्शी पदार्थ: - वैसे पदार्थ जिनके आरपार साफ-साफ देखा जा सकता है उन्हें पारदर्शी पदार्थ कहते हैं अर्थात जिन से होकर प्रकाश आसानी से आ जा सकता है उसे पारदर्शी पदार्थ कहते हैं।

(B) अपारदर्शी पदार्थ:- वैसे पदार्थ जिनके आर पार बिल्कुल देखा नहीं जा सकता है यानि जिन से होकर प्रकाश बिल्कुल आ जा नहीं सकता है उसे अपारदर्शी पदार्थ कहते हैं जैसे : पत्थर, दीवार, लकड़ी इत्यादि






 

(C) पारभाषी पदार्थ:- वैसे पदार्थ जिनके  आर - पार आंशिक रूप से देखा जा सकता है यानी धुंधला दिखाई पड़ता है उसे पारभाषी पदार्थ कहते हैं जैसे तेल लगा कागज, घिसा हुआ कांच, गंदा पानी इत्यादि


PART-01, PART-2, PART-03, PART-04p, PART-05

प्रकाश का प्रकीर्णन से आप क्या समझते हैं ?

जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है जिसमे धूल तथा अन्य पदार्थों के अत्यंत सूक्ष्म कण होते हैं, तो इसके द्वारा प्रकाश सभी दिशाओं में प्रसारित हो जाता है, इसे प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं ,सूर्य के प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण ही आकाश का रंग नीला दिखलाई पड़ता है |


 

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