तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता :-
तत्वों और उनके यौगिकों का सरल और क्रमबद्ध अध्ययन करने के लिए विभिन्न तत्वों के गुणों में समानताएं खोजना, समानताओं के अनुसार तत्वों को समूहों में वर्गीकृत करना और विभिन्न समूह में संबंध स्थापित करना बहुत आवश्यक है।
तत्वों के प्रथम आवर्ती वर्गीकरण रशियन वैज्ञानिक मेंडलीफ की देन है।
आधुनिक आवर्त सारणी मेंडलीफ द्वारा प्रस्तुत आवर्त सारणी का ही आधुनिक रूप है।
लगभग 100 वर्ष पूर्व 60 से भी कम तत्व ज्ञात थे परंतु अब तक 117 तत्वों की खोज हो चुकी है जिसमें से लगभग 90 तत्व प्राकृत में मुक्त या संयुक्त अवस्था में उपलब्ध हैं तथा शेष तत्व वैज्ञानिकों द्वारा कृत्रिम विधियों द्वारा बनाए गए हैं।
आवर्त सारणी के तत्वों और उनके यौगिकों का अध्ययन क्रमबद्ध और सरल हो गया है।
मेंडलीफ का आवर्त नियम:-
मेंडलीफ की मूल आवर्त नियम के अनुसार, "तत्वों के गुण उनके परमाणु भार के आवर्ती फलन होते हैं।"
इस नियम का अभिप्राय है कि तत्वों को उनके परमाणु भार ओके बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित करने पर एक नियमित अंतर से भौतिक व रासायनिक गुणों की पुनरावृति होती है।
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के मुख्य लक्षण:-
1. मेंडलीफ ने तत्वों को परमाणु के बढ़ते हुए क्रम में रखा है।
2. सारणी में 7 क्षैतिज कॉलम हैं , जिन्हें हम आवर्त (periods) कहते हैं।
3. सारणी में 8 खड़े कॉलम हैं, जिन्हें वर्ग (groups) कहते हैं। निष्क्रिय गैसों को लेकर कुल 9 वर्ग है।
मेंडलीफ के समय में 60 से भी कम तत्व की आदत है और अक्रिय गैस से भी आगे आते परंतु अब तक 117 तत्वों की खोज हो चुकी है।
मेंडलीफ की आवर्त सारणी के दोष:-
1. समस्थानिक और समभारिक ओं को आवर्त सारणी में स्थान देने में कठिनाई
2. आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का कोई एक निश्चित स्थान ना होना।
3. Lanthanide और actinides श्रेणियों के तत्वों के लिए आवर्त सारणी में स्थान ना होना।
4 अधिक भार वाले तत्वों को कम भार वाले से पहले रख देना। जैसे:- कोबाल्ट को निकल से पहले रखना , कोबाल्ट का परमाणु भार 59 निकेल का परमाणु भार 58.7 है।
5. उत्कृष्ट गैसों के लिए आवर्त सारणी में रिक्त स्थान ना होना।
6. सर्वथा भिन्न गुणों के तत्वों को एक वर्ग में रखना जैसे प्रथम वर्ग में आती क्रियाशील क्षार धातु लिथियम, सोडियम और पोटेशियम आदि के साथ कुछ कम क्रियाशील मुद्रा धातु कॉपर, सोना और चांदी को रखना।
7. तत्वों की परिवर्ती संयोजकता।
8. दीर्घ आवर्त में तत्वों की सम और विषम श्रेणियां।
आधुनिक आवर्त नियम की आवश्यकता क्यों पड़ी:-
रेडियो एक्टिव समस्थानिक समभारिक हो और परमाणु नाभिक की खोज एवं मौज ले और छवि के प्रयोगों से यह ज्ञात हुआ कि तत्वों के मूल लक्षण परमाणु क्रमांक है ना कि भाड़ यह देखते हुए मेंडलीफ के आवर्त नियम में परिवर्तन करना आवश्यक हो गया।
Moseley ने 1913 में आधुनिक आवर्त नियम दिया
आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार ," तत्वों के गुण उनके परमाणु क्रमांक के आवर्ती फलन होते हैं।"
आधुनिक आवर्त सारणी में 7 आवर्त तथा 18 वर्ग हैं।
1. पहले आवर्त में कुल तत्वों की संख्या दो हैं इसे अति लघु आवर्त कहते हैं।
2. दूसरे तथा तीसरे आवर्त में तत्वों की संख्या 8-8 है , इन्हें लघु आवर्त कहते हैं।
3. चौथे और पांचवें आवर्त में तत्वों की संख्या 18- 18 , इन्हें दीर्घ आवर्त कहते हैं।
4. छठे और सातवें आवर्त में कुल 32-32 तत्व है। जिन्हें दीर्घ आवर्त कहते हैं। तथा सातवां आवर्त अपूर्ण है।
तत्वों के गुण आवर्त सारणी में:-
1. तत्वों की संयोजकता:- आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर
वर्ग I से VII तक ऑक्सीजन के सापेक्ष तत्वों की संयोजकता क्रम से 1 से 7तक बढ़ती है तथा हाइड्रोजन के सापेक्ष तत्वों की संयोजकता पहले क्रम से 1 से 4 तक बढ़ती है और फिर क्रम से घटकर 1 हो जाती है
2. परमाणु त्रिज्या: किसी आवर्त में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ तत्वों की परमाणु त्रिज्या क्रम से क्षार धातु से हैलोजन तक घटती है।
3. आयनिक त्रिज्या: किसी आवर्त में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ तत्वों की त्रिज्या क्रम से घटती हैं।
4. विद्युत ऋणात्मकता:- किसी आवर्त में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ तत्वों की विद्युत ऋण आत्मकथा क्रम से छार धातु से हैलोजन तक बढ़ती है
5. इलेक्ट्रॉन बंधुता:- किसी आवर्त में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ तत्वों की इलेक्ट्रॉन बंधुता क्षार धातु से हैलोजन तक बढ़ती है।
6. धात्विक और अधात्विक लक्षण:- आवर्त सारणी में बाएं से दाएं जाने पर धात्विक लक्षण घटता है तथा अधात्विक अधात्विक लक्षण बढ़ता है।
7. ऑक्सीकारक और अपचायक गुण:- आवर्त में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ तत्वों का अपचायक गुण क्रम से धीरे-धीरे घटता है और ऑक्सीकारक गुण क्रम से धीरे-धीरे बढ़ता है।
8. धन विद्युत और ऋण विद्युतीय लक्षण:- आवर्त सारणी में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ तत्वों का धन विद्युतीय लक्षण क्रम से धीरे-धीरे घटता है और ऋण विद्युतीय लक्षण क्रम से धीरे धीरे बढ़ता है।
9. तत्वों के ऑक्साइड की प्रकृति:- तत्वों के आक्साइडो की प्रकृति धीरे-धीरे प्रबल क्षारीय से प्रबल अम्लीय हो जाती है।
वर्ग:-
आवर्त सारणी को 4 ब्लॉकों में बांट दिया गया है। ये चार ब्लॉक है - s, p, d और f.
1. वर्ग 1 और 2 के तत्व s- ब्लॉक के तत्व कहलाते है।
वर्ग 1 के तत्वों को क्षार धातु कहते हैं।
वर्ग 2 के तत्व क्षारीय मृदा धातु कहलाते हैं।
2. वर्ग 13 से 18 तक वाले तत्व p- ब्लॉक के तत्व कहलाते हैं।
वर्ग 17 के तत्व हैलोजेन कहलाते हैं तथा वर्ग शून्य या 18 के तत्व उत्कृष्ट गैस कहलाते हैं ।
F (9) फ्लोरीन, Cl (17) क्लोरीन, Br(35) ब्रोमीन, I (53) आयोडीन, At (85) Astatine.
उत्कृष्ट गैस है:-हिलियम (He-2), नियान (Ne-10), आर्गन ( Ar-18), करेप्तन (Kr-36), xenon (Xe-54), रेडान (Rn-86) और ओगानेसन (Og-118).
3. वर्ग 3 से लेकर 12 तक वाले तत्व d- ब्लॉक के तत्व कहलाते हैं।
4. f- ब्लॉक के तत्व:-
आवर्त सारणी के नीचे दो कतारों के लैंथेनाइड और एक्टिनाइड्स f- ब्लॉक के तत्व है।
उपधातु धातु या अधातु:- वे तत्व जिनके गुण धातु और अधातु के बीच का हो, उपधातु कहलाते हैं।
जैसे:- बोरान, सिलिकॉन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एंटीमनी, टेलूरियाम और पोलोनियम।
No comments:
Post a Comment