परिवहन तंत्र।
जीवित प्राणियों में होने वाली विभिन्न उपाय पचाई क्रियाएं उनके जीवन के लक्षण है। विभिन्न उपाय बचाई क्रियाएं हैं शरीर की वृद्धि के लिए जीव द्रव्य, नई कोशिकाओं का निर्माण, पोषण, प्रकाश संश्लेषण, ऊर्जा उत्पादन हेतु श्वसन आदि क्रियाओं को करने के लिए शरीर के कोशिकाओं को विभिन्न पदार्थों की आवश्यकता होती है कोशिकाओं को ऐसे पदार्थों की लगातार आपूर्ति होना आवश्यक है अन्यथा ऊपर पचाई क्रियाएं बाधित हो जाती है और प्राणियों का जीवित रहना असंभव हो जाता है।
ऐसे आवश्यक पदार्थों के स्रोत सामान्यता कोशिकाओं से दूर होता है जैसे ग्लूकोस अमीनो अम्ल और वसा अम्ल आदि पोषक तत्व क्रमशः कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के पाचन से बनते हैं। अगर यह पदार्थ आहार नाल से शरीर के प्रत्येक कोशिका तक नहीं पहुंचे तो इनका उपयोग नहीं हो पाएगा और यह शरीर के लिए बेकार साबित हो जाएंगे।इसी प्रकार वायुमंडल से लिया गया अक्सीजन जब तक स्वसन अंगो से कोशिकाओं तक नहीं पहुंचता तब तक उसका उपयोग नहीं हो पाता है ऊपर पचाई क्रियाओं के फल स्वरुप कोशिकाओं में कुछ ऐसे हानिकारक पदार्थों का निर्माण होता है जो शरीर के लिए अनुपयोगी होते हैं ऐसे पदार्थों को भी कोशिकाओं से लगातार हटाते रहने की आवश्यकता होती है जिसके लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है जिसे परिवहन तंत्र कह ते। हैं।
परिवहन तंत्र के अंग हैं 1. रक्त, 2. नलिकाएं और 3 . ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड से संयोग करने वाला रंजक।
" उपयोगी पदार्थों का उनके मूल स्रोतों से शरीर के प्रत्येक कोशिकाओं तक पहुंचाने तथा अनुपयोगी और हानिकारक पदार्थों को कोशिकाओं से निकालकर गंतव्य स्थान तक पहुंचाने की क्रिया को पदार्थों का परिवहन कहते हैं इस कार्य को पूरा करने के लिए विकसित तंत्र को परिवहन तंत्र कहते हैं।"
पौधों में पदार्थों का परिवहन:-
एक कोशिकीय पौधों जैसे: क्लाइडो मोनास, यूग्लीना एवं सरल बहुकोशिकीय शैवालों में पदार्थों का परिवहन विसरण के द्वारा होता है।
जटिल बहुकोशिकीय पौधों में जल एवं खाद्य पदार्थों का परिवहन के लिए एक खास परिवहन तंत्र होता है क्योंकि विसरण जैसे साधारण क्रिया के द्वारा लंबे वृक्षों में जोर से लेकर पत्तियों तक की दूरी तय नहीं कर सकती है इस तंत्र में संवहन उत्तक लंबे-लंबे ना लिकाओं के रूप में होते हैं।
जो जाइलम और फ्लोएम कहलाते हैं यह जड़ से होते हुए का नाश होते हुए पत्तियों तक फैले होते हैं पत्तियों में यह शिराओं और शाखाओं के रूप में देखी जा सकती है।जाइलम जल का परिवहन करता है तथा फलों एवं खाद्य पदार्थों का परिवहन करता है।
1. जीवों के शरीर में पदार्थों के स्थानांतरण के लिए एक तंत्र को क्या कहते हैं ?
परिवहन तंत्र
समस्त उपयोगी पदार्थों को उनके मूल स्रतों से शरीर की कोशिकाओं तक लाना तथा अनुपयोगी और हानिकारक पदार्थों को कोशिकाओं से बाहर निकाल कर उन अंगों तक पहुंचाना जहां से वे शरीर के बाहर निकाल दिए जाएं पदार्थों का परिवहन कहलाता है और पदार्थों के परिवहन या स्थानांतरण के लिए विकसित तंत्र को परिवहन तंत्र कहते हैं।
2. संवहन उत्तक किसे कहते हैं? जाइलम और फ्लोएम को
जटिल बहू कोशिकीय पौधों में जल एवं खाद्य पदार्थों के परिवहन हेतु विशिष्ट उत्तक पाए जाते हैं जिन्हें संवहन उत्तक कहते हैं।
खाद्य पदार्थों का परिवहन पत्तियों से पौधों के सभी अंगों में फ्लोएम उत्तक द्वारा संपन्न होता है।
जाइलम में जल एवं खनिज लवण का परिवहन ऊपर की एक ही दिशा में होता है जबकि फ्लोएम में खाद्य पदार्थों का परिवहन ऊपर और नीचे दोनों दिशा में होता है।
3. चालिनी नलिकाएं कहां पाई जाती है ? फ्लोएम में।
4. वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं?
पौधों के वायवीय भागों से जल का रंध्रो द्वारा वाष्प के रूप में निष्कासन की क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है।
5. स्थानांतरण क्या है?
पौधे के एक भाग से दूसरे भाग में खाद्य पदार्थों के जलीय घोल के आने जाने को खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण कहा जाता है। पौधों में सुक्रोज के रूप में खाद्य पदार्थ का स्थानांतरण होता है।
6. खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण किस रूप में होता है?
उत्तर:- मनुष्य में खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण ग्लूकोस, एमिनो अम्ल, वसा अम्ल आदि पोषक तत्व के रूप में होता है।
7. पौधे खनिज लवणों का अवशोषण किस रूप में करते हैं?
पौधे खनिज लवणों अवशोषण आयन के रूप में करते हैं।
8. खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण क्यों जरूरी होता है?
खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण ऊर्जा उत्पादन एवं उपयोग के लिए जरूरी है।
9. रक्त के विभिन्न आवाजो के नाम लिखें?
रक्त के विभिन्न अवयव RBC,WBC, platelets एवं प्लाज्मा।
10. रक्त परिसंचरण तंत्र के तीन प्रमुख अवयवों के नाम लिखें?
रक्त, वाहिकाएं , एवं ह्रदय
11. रक्त किस प्रकार का उत्तक है ?
संयोजी उत्त क
क्योंकि रक्त अपने प्रवाह के दौरान शरीर के सभी उत्तक का संयोजन करता है इसलिए यह तरल संयोजी उत्तक कहलाता है।
12. लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण शरीर में कहां होता है?
लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण अस्थि मज्जा में होता है लेकिन गर्भस्थ शिशु में लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण प्लीहा एवं यकृत में होता है।
13. मनुष्य में लाल और श्वेत रक्त कोशिकाओं का अनुपात क्या है? 600:1
14. रक्त लाल क्यों दिखते हैं? हिमोग्लोबिन के उपस्थिति के कारण
15. मनुष्य के हृदय में चार कौन-कौन से वेशम होते?
बायाँ अलिंद, दायाँ अलिंद, बायाँ निलय, दायाँ निलय
16.शरीर के सभी भागों से अशुद्ध रक्त को हृदय के दाएं अलिंद में ले जाने वाली रक्त वाहिनी ओं के नाम लिखें,?
शिरायें
हृदय के दाएं आलिंद निलय छिद्र पर स्थित कपाट को त्रिदलि कपाट कहते हैं
18.फेफड़े से शुद्ध रक्त को बाय अलिंद में ले जाने वाली रक्त वाहिनी का नाम क्या है ?
फुफ्फुस शिरा
19. हृदय के वेश्मों का संकुचन क्या कहलाता है?
संकुचन सिस्टॉल तथा शिथिलन को डायस्टॉल
20. शरीर की ऐसी धमनी का नाम लिखिए जिसमें अशुद्ध रक्त प्रवाहित होता है?
फुफ्फुस धमनी
21. शरीर की ऐसी शिरा का नाम लिखें जिसमें शुद्ध रक्त प्रवाहित होता है?
फुफ्फुस शिरा
22. विभिन्न शीरिकाएँ आपस में जुड़ कर रक्त वाहिनी का निर्माण करती है? महाशिरा
23. एक ऐसे एक कोशिकीय पौधे का नाम बताएं जिसमें परिवहन विसरण के द्वारा होता है?
क्लैडोमोनास और युग्लीना
24.पौधों में जल एवं खाद्य पदार्थों के स्थानांतरण करने वाले उत्तक को क्या कहते हैं?
संवहन उत्तक
25. जल संवहक उत्तक में पाए जाने वाली लंबी तथा बेलनाकार नलिकाएं क्या कहलाती हैं ?
जाइलम
26. जाइलम और फ्लोएम में किसकी कोशिकाएं मृत होती है? जाइलम की
27.जाइलम तथा फ्लोएम में कौन सा संवहन उत्तक खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण करता है?
फ्लोयम
28.पौधों में जल खनिज लवण और खाद्य पदार्थों को पौधे के शीर्ष भाग तक पहुंचाने वाली क्रिया क्या कहलाती है?
संवहन
29. रुधिर किस प्रकार का उत्तक है? संयोजी उत्तक
30. दायाँ और बायाँ अलिंद एक दूसरे से किस रचना के द्वारा अलग होते हैं?
अंतरा अलिंद भित्ति
31. उस शिरा का नाम बताइए जिसमें शुद्ध या ऑक्सीजन जनित रक्त का प्रवाह होता है?
फुफ्फुस शिरा
32.वैसा रक्त प्लाज्मा जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं नहीं पाई जाती है क्या कहलाता है?
सीरम
33. रक्त का संचार ज्यादा दबाव से किसमें होता है?
धमनियों में
34. रक्तचाप का माप किस उपकरण से किया जाता है?
स्फिग्मोमैनोमीटर
शिरा और धमनी में अंतर
रक्त एवं लसीका में अंतर स्पष्ट करें?
ह्रदय की संरचना :
हृदय मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो बगहा के मध्य में थोड़ी सी बाएं ओर स्थित होता है और यह 1 दिन में लगभग 100000 बार एवं 1 मिनट में लगभग 72 बार धड़कता है, इसके एक धड़कन में 0.8 सेकंड लगते हैं केंद्रीय कौन है रक्त पर दबाव बनाकर पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण करता है करता है। हृदय को पोषण एवं ऑक्सीजन रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनियों द्वारा प्रदान किया जाता है।
मनुष्य के हृदय का भार लगभग 250 से 300 ग्राम तक होता है मनुष्य का दिल 1 मिनट में 70 मिलीलीटर रक्त पंप करता है । एवं 1 दिन में 7600 लीटर रक्त पंप करता है।
ह्रदय पेरीटोनियम की एक दोहरी झिल्ली के अंदर बंद होता है ,जिसे हृदयावरण या पेरिकार्डियम कहते हैं। पेरिकार्डियम की दोनों झिल्लियों के बीच की गुहा को पेरिकार्डियल गुहा कहते हैं. इस गुहा में पेरिकार्डियल द्रव भरा रहता है , यह द्रव हृदय को बाहरी आघातों तथा हृदय गति के दौरान हृदय और पेरिकार्डियल झिल्ली के बीच होने वाली संभावित घर्षणों से बचाता है।
मनुष्य तथा मैमलिया वर्ग के जन्तुओ के हृदय में चार वेश्म होते है , दायाँ एवं बायाँ अलिंद तथा दायाँ एवं बायाँ निलय।
दायाँ एवं बायाँ अलिंद ह्रदय के चौड़े अग्र भाग में स्थित होते है, ये दोनों एक विभजिका (अन्तरालिंद भित्ति ) सेप्टम द्वारा अलग होते हैं। ।
दायाँ एवं बायाँ निलय ह्रदय के संकरे पश्च भाग में स्थित होते है, ये दोनों अन्तरानिलय भित्ति द्वारा अलग होते हैं।
दायाँ अलिंद , दायें निलय में एक छिद्र दायाँ अलिंद-निलय छिद्र ,के द्वारा खुलता है। इस छिद्र पर एक त्रिदलि कपाट पाया जाता है। जो रक्त को दाये अलिंद से दाये निलय में जाने तो देता है लेकिन वापस आने नहीं देता है।
इसी प्रकार बायाँ अलिंद , बाँये निलय में बायाँ अलिंद-निलय छिद्र के द्वारा खुलता है. इस छिद्र पर द्विदलि कपाट पाया जाता है. जो रक्त को बाँये अलिंद से बाँये निलय में जाने तो देता है, लेकिन वापस आने नहीं देता है।
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