ह्रदय की संरचना :
हृदय मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो बगहा के मध्य में थोड़ी सी बाएं ओर स्थित होता है और यह 1 दिन में लगभग 100000 बार एवं 1 मिनट में लगभग 72 बार धड़कता है, इसके एक धड़कन में 0.8 सेकंड लगते हैं केंद्रीय कौन है रक्त पर दबाव बनाकर पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण करता है करता है। हृदय को पोषण एवं ऑक्सीजन रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनियों द्वारा प्रदान किया जाता है।
मनुष्य के हृदय का भार लगभग 250 से 300 ग्राम तक होता है मनुष्य का दिल 1 मिनट में 70 मिलीलीटर रक्त पंप करता है । एवं 1 दिन में 7600 लीटर रक्त पंप करता है।
ह्रदय पेरीटोनियम की एक दोहरी झिल्ली के अंदर बंद होता है ,जिसे हृदयावरण या पेरिकार्डियम कहते हैं। पेरिकार्डियम की दोनों झिल्लियों के बीच की गुहा को पेरिकार्डियल गुहा कहते हैं. इस गुहा में पेरिकार्डियल द्रव भरा रहता है , यह द्रव हृदय को बाहरी आघातों तथा हृदय गति के दौरान हृदय और पेरिकार्डियल झिल्ली के बीच होने वाली संभावित घर्षणों से बचाता है।
मनुष्य तथा मैमलिया वर्ग के जन्तुओ के हृदय में चार वेश्म होते है , दायाँ एवं बायाँ अलिंद तथा दायाँ एवं बायाँ निलय।
दायाँ एवं बायाँ अलिंद ह्रदय के चौड़े अग्र भाग में स्थित होते है, ये दोनों एक विभजिका (अन्तरालिंद भित्ति ) सेप्टम द्वारा अलग होते हैं। ।
दायाँ एवं बायाँ निलय ह्रदय के संकरे पश्च भाग में स्थित होते है, ये दोनों अन्तरानिलय भित्ति द्वारा अलग होते हैं।
दायाँ अलिंद , दायें निलय में एक छिद्र दायाँ अलिंद-निलय छिद्र ,के द्वारा खुलता है। इस छिद्र पर एक त्रिदलि कपाट पाया जाता है। जो रक्त को दाये अलिंद से दाये निलय में जाने तो देता है लेकिन वापस आने नहीं देता है।
इसी प्रकार बायाँ अलिंद , बाँये निलय में बायाँ अलिंद-निलय छिद्र के द्वारा खुलता है. इस छिद्र पर द्विदलि कपाट पाया जाता है. जो रक्त को बाँये अलिंद से बाँये निलय में जाने तो देता है, लेकिन वापस आने नहीं देता है।
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